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Bilkis Bano CaseBilkis Bano Case

Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो और उनका परिवार 2002 के गुजरात में हुए दंगों के पीड़ितों में से एक हैं। साम्पद्रायिक हिंसा के दौरान उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उनके परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी।

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Bilkis Bano case Brief hindi: 21 साल से भी पुराने विवादित मामले में बिलकिस बानो एक बार फिर से चर्चा में हैं। सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने इस मामले के 11 दोषियों की रिहाई का गुजरात सरकार द्वारा किया गया फैसला रद्द कर दिया। अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के भीतर पुनः आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। ये सभी दोषी गुजरात के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में सजा काट रहे थे। इन्हें 15 अगस्त 2023 को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था।

सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को अपने फैसले में बताया कि जहां अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई, वही राज्य दोषियों की सजा माफी का फैसला कर सकता है। अदालत ने कहा कि दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं कर सकती, बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी। बिलकिस बानो का मामला महाराष्ट्र में सुनवाई हुई थी। उच्चतम न्यायालय ने यह भी बताया कि दोषियों को रिहा करने का गुजरात सरकार द्वारा किया गया फैसला शक्ति का दुरुपयोग था।

बिलकिस बानो कौन हैं? उनके साथ घटना के दिन क्या हुआ था? उनके परिवार के सात लोगों की हत्या कैसे हुई थी? आइए जानते हैं…

कौन हैं बिलकिस बानो? Bilkis Bano Case

27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गुजरात में दंगों का दौर शुरू हुआ। इन दंगों में कई परिवारों को प्रभावित होना पड़ा, जिनमें एक बिलकिस बानो का भी परिवार था। गोधरा हिंसा के चार दिन बाद, बिलकिस के परिवार को 3 मार्च 2002 को बेहद अत्याचारिकता का सामना करना पड़ा। उस समय, 21 साल की बिलकिस के परिवार में बिलकिस के साथ उनकी तीन साल की बेटी और 15 अन्य सदस्य भी थे। दंगाई लोगों ने बिलकिस के परिवार के सात लोगों को हत्या कर दिया था।

बिलकिस के साथ क्या हुआ था? Bilkis Bano Case

27 फरवरी की घटना के बाद प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे फैल गए। दाहोद जिले के राधिकपुर गांव में बिलकिस बानो का परिवार रहता था। दंगा बढ़ते देख परिवार ने गांव छोड़कर भागने का फैसला लिया। उस समय बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। वह अपनी साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ गांव छोड़कर भागी।

3 मार्च 2002 को परिवार ने चप्परवाड़ गांव पहुंचा और पन्निवेला गांव की ओर जाने वाले कच्चे रास्ते से लगे एक खेत में छुप गया। अदालत में दायर आरोपपत्र के मुताबिक, सजा पाने वाले 11 दोषियों समेत करीब 20-30 लोगों ने हसिया, तलवार और लाठियों से लैस होकर बिलकिस और उनके परिवार पर हमला कर दिया। हमले में बिलकिस की साढ़े तीन साल की बेटी समेत सात लोगों की मौत हो गई।

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साढ़े तीन साल की मासूम को पत्थर पर पटक-पटकर मार डाला

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई के दौरान उनके वकील ने दर्दनाक घटना का बयान किया था। उन्होंने कहा कि यह घटना आकस्मिक नहीं थी, बल्कि दोषी उन्हें पीछा कर रहे थे। वकील ने उजागर किया कि दोषी उनकी पहुंच खोज रहे थे और उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। वे उन लोगों को खोज रहे थे जो जिम्मेदार हैं।

उन्होंने अदालत को बताया कि ‘जब बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं, तब उन्हें कई बार क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी को चट्टान पर पटक कर मार डाला गया था।’ वकील ने बताया कि वे हमलावरों की पहचान करने की कोशिश करती रहीं लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की कृपा या दया नहीं दिखाई।

परिवार के साथ भी दरिंदगी और बर्बरता Bilkis Bano Case

वकील ने आगे विवरण दिया, ‘बिलकिस की मां और चचेरी बहन के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। चार नाबालिग भाई-बहन…उनकी चचेरी बहन का दो दिन का बच्चा…चाची-चाची, अन्य चचेरे भाई-बहनों की हत्या कर दी गई।’

वकील शोभा ने कहा कि जो शव बरामद किए जा सके, उनके सिर और छाती कुचले हुए पाए गए। उन्होंने कहा कि हालांकि 14 मौतें हुईं, केवल सात के शव ही बरामद किए जा सके, क्योंकि घटनास्थल सुरक्षित नहीं था।

घटना के बाद बेहोश हो गई थीं बिलकिस, उधार मांगे थे कपड़े Bilkis Bano Case

इस हमले में केवल बिलकिस, उनके परिवार के पुरुष सदस्य और एक तीन साल का बच्चा बच सका था। घटना के बाद बिलकिस कम से कम तीन घंटे तक बेहोश रहीं। होश में आने के बाद उन्होंने एक आदिवासी महिला से कपड़े उधार लिए। फिर उनकी मुलाकात एक होम गार्ड से हुई जो उसे लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन ले गया जहां उसने हेड कांस्टेबल सोमाभाई गोरी के पास शिकायत दर्ज कराई। सीबीआई के अनुसार, गोरी ने शिकायत के अहम तथ्यों को छिपाया और उसे तोड़-मरोड़ कर लिखा।

गोधरा राहत शिविर में पहुंचने के बाद ही बिलकिस को जांच के लिए एक शासकीय अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिनों बाद उनका मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट तक गया। यहां से मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए गए। इसके बाद जनवरी 2008 में एक विशेष अदालत ने 11 आरोपियों को दुष्कर्म, हत्या, गैर कानूनी रूप से इकट्ठा होने समेत अन्य धाराओं में दोषी ठहराया गया। इस मामले में सजा काट रहे 11 दोषियों को 15 अगस्त 2023 को रिहा कर दिया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली।
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